बढता हुआ जोडों का प्रदाह एवम आहार व अन्य आदते
आज के तनाव भरे जीवन में, जो लोग अपने काम और अन्य गतिविधियों में बहुत व्यस्त हैं. उनमें से कई लोग अनुचित प्रकार से आहार लेते है. आहार से संबंधित यह आदतें, संधिवात अर्थात जोडों का प्रदाह अर्थात गठिया कि वृद्धि में कारण बनती हैं.
बहुत से लोग बिना क्षुधा के खाना खाते रहते हैं. बहुत शीघ्रता से खाना खाते हैं. तथा बासी खाना, जंक फूड, दिन भर खाते रहना आदि आदतोंके अधीन हो चुके रहते है. दूसरी ओर, विशेष रूप से गरीब वर्ग के अपने कुछ कारण है. जहाँ लोगों को अपनी रोटी कमाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ सकती है, वे अपने शरीर की आवश्यकता से कम मात्रा में तेल, घी का सेवन कर सकते हैं. अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ खाते रहते है. इस प्रकार के सभी अनुचित आहार या आहार की पद्धती जोडों के प्रदाह बढाने में सहाय्यक होती है.
ऐसे लोग भी होते हैं जो वजन बढ़ाना चाहते हैं. शरीर का द्रव्यमान बढ़ाना चाहते हैं. वे बिना क्षुधा के ही निरंतर खाते रहते हैं. घी, बादाम, काजू, मूंगफली, दूध और दूध से बने उत्पाद जैसे बासुंदी, दही, श्रीखंड, आइस-क्रीम आदि आवश्यकता से अधिक मात्रा में खाते है. ऐसे लोगों को संधिवात अपनी जडे जमा लेता है. फ्रिज से अत्यधिक ठंडा पानी पीना, रात में चावल का रोजाना सेवन करना भी, मेदवृद्धी करता है, जो अंतिमत: संधिवात को बढावा देता है.
सावधानी
जिन लोगों को जोड़ों के प्रदाह की अनुभूति होने लगे, उन्हें तब तक नहीं खाना चाहिए जब तक उन्हें क्षुधा न लगे. उन्हें भारी भोजन, जंक फूड, अत्यधिक तैलीय खाद्य पदार्थ, कोल्ड ड्रिंक्स आदि से बचना चाहिए. ऐसे मामलों में गर्म पानी पीना एवम पूरे दिनभर शरीर को गतिशील रखने के लिए, पैदल चलना से, घर के काम करनाआदि उपयुक्त हो सकता है.
कूलर के सामने या वातानुकूलित कमरे में पूरे दिन बैठे रहना भी गठिया को बढावा मिलता है. बहुत मात्रा में चाय पीना, बहुत मात्रा में फलों का रस पीना, बहुत अधिक शराब पीना, धूम्रपान करना, रात में देर तक जागना, अपर्याप्त नींद, क्षमता से अधिक चलना आदि भी जोडों का प्रदाह का कारण बन सकते है.
बदलते हवामान के साथ संधिवात बढने की आशंका रहती है. मौसम के विपरित जैसे गर्मियों में धूप की अनुपस्थिति, बादल छाए रहने, सर्दियों की बारिश या गर्मियों के मौसम में अत्यधिक धूप आदि भी बढते संधिवात का कारण बन सकते है.